किरण पड़ी सरोवर पर,वो भी गया चमक पत्ता-पत्ता, बूटी-बूटी खेले ,खेल संग-संग किरण पड़ी सरोवर पर,वो भी गया चमक पत्ता-पत्ता, बूटी-बूटी खेले ,खेल संग-संग
वो कभी मेरी खामोशी ही क्यों नहीं पढ़ लेते। वो कभी मेरी खामोशी ही क्यों नहीं पढ़ लेते।
वक्त बदल रहा है कुछ बातों को भूल जा। वक्त बदल रहा है कुछ बातों को भूल जा।
देश,समाज में नित नवीन नौटंकी घट रही है. कभी कोई बाबा आस्था को तार-तार कर जाता है तो कभी कोई दहशतगर्द... देश,समाज में नित नवीन नौटंकी घट रही है. कभी कोई बाबा आस्था को तार-तार कर जाता है...
सजग सबल सामर्थ्यवान बन वो आधुनिक नारी है। सजग सबल सामर्थ्यवान बन वो आधुनिक नारी है।
दृढ़ता विश्वास ही होगा जो मेरी जिंदगी संवारेगी।। दृढ़ता विश्वास ही होगा जो मेरी जिंदगी संवारेगी।।